Saturday, 20 May 2023

 

सत्साहित्य सदा कवि लिखता, चाटुकारिता नहीं धर्म है,

वह उपदेशक है समाज का, सच में उसका यही कर्म है l

परिवर्तन लाना  समाज  में, स्वाभाविक बाधाएँ  आयें,

कार्य कुशलता के ही कारण, सम्मानित है, यही मर्म है l

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