प्राणी ने
मन जीत लिया तो, जग को भी वह जीत जायगा,
दृढ़
संकल्प सामने रक्खो, तो विचार भी स्वस्थ आयगा |
अगर वासना
मन में जागे, मन पर करो नियन्त्रण तो फिर,
मन को तुम
एकाग्र करो तो, उसका तो फल रंग लायेगा |
अगर रहेगी
मन में विकृति, नहीं शान्ति पा सकते,
जंगल और
गुफा में है वह, भ्रम है, तुमसे कहते |
अन्तस् मन
में उसे खोजिये, त्यागो मन दुर्बलता,
अंहकार
बाधक बनता है, यह क्यों नहीं समझते |
हम साथी
हैं, साथ रहेंगे, अपनापन हर कोई दिखाता,
पर अपना
है कौन यहाँ पर,बिरला ही बस साथ निभाता |
अगर जरूरत
कभी पड़ी है, मौके पर वह खुद हट जाता,
भोजन,
पानी, शूद्ध वायु से, तन का होता पूर्ण विकास,
श्रेष्ठ
विचारों से प्रसन्न मन, पहुँच सके ईश्वर के पास |
चिन्तन,
मनन, स्वाध्याय से, ज्ञान गुणी संग प्राप्त करें,
मिले
प्रेरणा शुभ कर्मो की, प्रभु मिल जाते यह विश्वास|
No comments:
Post a Comment