Thursday, 13 February 2025

 

अब तक मोह प्रेम वश हो कर जी ललचाया,

झूठे  रिश्ते नाते  जग  में, यह  ही  पाया.

उसने कब चाहा तुम उनको  धन दौलत दो,

केवल दुख में साथ निभा दो, यह ही भाया.

 

No comments:

Post a Comment