धर्म आचरण का पालन कर, धर्म जिये जा,
अहंकार को छोड़, छिपा यह मर्म जिए जा|
काम,क्रोध,मद,लोभ, सदा से शत्रु रहे हैं,
फल की इच्छा क्यों करता, तू कर्म किये जा|
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