Thursday, 20 March 2025

 

धर्म आचरण का पालन कर, धर्म जिये जा,

अहंकार को  छोड़, छिपा यह  मर्म जिए जा|

काम,क्रोध,मद,लोभ, सदा से शत्रु रहे हैं,

फल की इच्छा क्यों करता, तू कर्म किये जा|

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