Friday, 7 March 2025

 

सेवा भाव समर्पण  ही बस, मानव की पहिचान है,

जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह धनवान है l

यों तो मरते,और जन्मते,जो भी आया यहाँ धरा पर,

                                                  करता  जो उपकार सदा  ही, पाता  वह सम्मान  है |

 

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