Tuesday, 25 March 2025

 

फल देतें  हैं  सदा सभी को, वृक्ष नहीं कुछ खाते,

धरती   को सिंचित करते ही,बादल फिर उड़ जाते |

प्यास बुझाती प्यासे की ही, सरिता लब जल पीती,

पर  उपकारी  जो  होते  हैं, धन्य  वही  हो पाते |

 

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