सत्य निष्ठा राम में होना जरूरी है,
यदि समर्पण भाव है, तो फिर न दूरी है l
छल,कपटव्यवहार,निन्दा यदि रही मन में,
चाह कर भी साधना रहती अधूरी है l
यदि समर्पण भाव है, तो फिर न दूरी है l
छल,कपटव्यवहार,निन्दा यदि रही मन में,
चाह कर भी साधना रहती अधूरी है l
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