अंधे देखें कृपा से, मूक बनें वाचाल,
राम कृपा से पंगु भी,गिरिवर चढ़ें विशाल l
जिसकी जैसी भावना, वैसे उसके राम,
श्रृद्धा हम उन पर करें,बिगड़े बनते काम l
राम कृपा से पंगु भी,गिरिवर चढ़ें विशाल l
जिसकी जैसी भावना, वैसे उसके राम,
श्रृद्धा हम उन पर करें,बिगड़े बनते काम l
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