Dr. Hari Mohan Gupta
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Wednesday, 11 July 2018
कर्म किये जा,
धर्म आचरण का पालन कर, धर्म जिये जा,
अहंकार को
छोड़, छिपा यह
मर्म जिए जा.
काम, क्रोध, मद, लोभ, सदा से शत्रु रहे हैं,
फल की इच्छा क्यों करता, तू कर्म किये जा.
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