कद बड़ा है आपका बस,
शाम की परछाई सा,
असलियत का तो पता,
सूरज सुबह बतलायगा l
सत्य होंगे सब उजागर, दोपहर कल धूप में,
ध्यान से जब
देखना,तो खुद समझ आ जायगा l
ओढ़ करके यह लबादा, ढोंग का कब तक
चलेगा,
तथ्य जब होंगे उजागर, तब पता चल
जायगा l
दाग चेहरे
पर लगा है, क्या पता है आपको,
आइना बस देखियेगा,
खुद व खुद दिख जायगा l
आप गदगद हैं कि शायद, आपका कद बढ़
रहा,
दूसरे नापें ऊँचाई,
तब कोई कह
पायगा l
मैं बड़ा
हूँ, तू नहीं है, यह लड़ाई आज भी,
सब बराबर हैं जमी
पर, कौन यह समझायगा l
पैर छू लूँगा बड़े के, स्वयम छोटा
मान कर,
कौन है सबसे बड़ा, यह तो पता चल
जायगा l
चार कदमों बाद ही,
कहने लगे हम थक गये,
जिन्दगी लम्बा सफर,
कैसे कहो कट पायगा l
आप झुक कर तो मिलें, बस आपसे जो
भी मिले,
आपका कद तो बड़ा
बस, आप ही हो जायगा l
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