मिथ्या
आग्रह, कटुवचन, करे तीर का काम,
स्वाभाविक यह प्रतिक्रया,
उल्टा हो परिणाम
धन संग्रह नहिं धर्म से, उसका करिये त्याग,
यथा सर्प
की केचुली, नहीं लगेगा
दाग l
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