अब पुराना हो रहा है यह मकान,
देखो खिसकने लगीं ईटें
पुरानी,
झर रहा प्लास्टर कहे अपनी
कहानी।
ज रही अब मिटाने पुरानी शान,
अब पुराना हो रहा है यह मकान।
जब बना था मजबूत थे सब जोड़,
रंग रोगन अच्छा रहा बेजोड़।
सोचता था यह बहुत मजबूत है,
समय से ,यह खो रहा पहिचान।
अब पुराना हो रहा यह मकान।
जिन्दगी बस इसी ढ़ंग से है
बनी,
नित नई हैं अब समस्यायें
घनी।
अमर ऐसी कोई काया नहीं,
सामने दिख रहा, पास में शमशान।
अब पुराना हो रहा है यह मकान।
फट रहे हैं वस्त्र अब वे हैं
पुराने, हों नये ही वस्त्र अब मन को लुभाने।
जो यहाँ आया, गया जगरीत यह, धन्य वह, मिले जाते समय सम्मान।
अब पुराना हो रहा है यह मकान।
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