विघटन कारी जो समाज है, उसका चढ़ता रंग,
चापलूस यदि घेरें तुमको, पड़े रंग में भंग l
बुद्धि और श्रद्धा से प्राणी निर्मल होता,
आगे बढना लक्ष्य अगर है, वे करते सत्संग l
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