Sunday, 13 August 2023

विघटन कारी जो समाज है, उसका चढ़ता रंग,

चापलूस यदि  घेरें  तुमको, पड़े  रंग में भंग l

बुद्धि  और  श्रद्धा  से  प्राणी  निर्मल  होता,

आगे बढना लक्ष्य अगर  है, वे करते सत्संग l

 

 

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