जहाँ सुमति तहँ सम्पति नाना, कोई अन्य विधान नहीं है,
कुमति जहाँ पर रही वहाँ तो, सच मानो सम्मान नहीं है l
आदि वचन “मानस” से छांटे, तुम भी इसको सोचो समझो,
मिल जुल कर रहना हम सीखें, सुमति बिना उत्थान नहीं है l
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