शिष्य होता अग्रसर, गुरु ज्ञान पा कर,
बूंद छोटी है, मगर भर जाय गागर l
खोजते हैं हम, तभी तो रत्न मिलते,
यों छिपी प्रतिभा, यहाँ होती उजागर l
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