दुराचरण से सच में मानव, सदा घिनोना हो जाता है,
सन्तोषी यदि,घास फूंस भी सुखद विछोना हो जाता है l
विज्ञ जनों की यदि हम माने,हम अपने आचरण सुधारें,
सत्संगति ही पारस मणि है, लोहा कन्चन हो जाता है l
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