झूला झूल रहे गिरिधारी, शोभा अद्भुत न्यारी |
मोर मुकुट माथे पे
शोभित,
छवि देखी नहिं कभी कदाचित |
कन्ठ हार बलहारी |
झूला झूल रहे गिरिधारी |
श्याम वर्ण, नैना हैं चन्चल,
दमक रहे कानों में कुण्डल |
वे पीत वस्त्र धारी |
झूला झूल रहे गिरिधारी |
गोप,गोपियाँ नाचें गावें,
देख देख कें वे मुस्कावें |
झूम रहे नर , नारी |
झूला
झूल रहे गिरिधारी |
अंगराग संग माथे
चन्दन,
यहाँ प्रभुल्लित सबके तन,मन |
ऐसे
हैं उपकारी |
झूला
झूल रहे गिरिधारी |
जिन डारन पे झूला शोभित,
सुख पा रय जो भये समर्पित |
झूलें बारी बारी |
झूला
झूल रहे गिरिधारी |
राधा कहती, बैठें
संग में,
हम भी डूबें उनके रंग में |बैठन की तैयारी | झूला ---