Thursday, 14 August 2025

 

निज  का  जो पुरुषार्थ समेटे, सत्संगत में जीता,

भक्ति भाव  जिसकी रामायण और कर्म है गीता |

ईर्ष्या,द्वेष,घृणा,चिंता को,छोड़ सका जिसका मन,

जीवन उसका धन्य, समय यदि परोपकार में बीता |

No comments:

Post a Comment