Sunday, 17 August 2025

 

आयु होती  क्षीण, यदि निन्दा  करें  विद्वान् की,

तप नष्ट होता जायगा,यदि मान्यता अभिमान की l

झूठ  बोला  तो  समझ  लो, नष्ट होगा यज्ञ फल,

दूसरों से यदि  कही, महिमा  कहाँ  फिर  दान की l

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