Wednesday, 27 August 2025

 

जो सेवक  हैं  सही अर्थ में, वे  तो  समझें  खुद को अफसर,

वेतन भोगी  कहें  भले  ही, छोड़ें नहीं  कोई  भी  अवसर l

जनहित के क्या काम करेंगे, सोच समझ जिनकी है लिप्सा,

समय नहीं  जो  दर्द  सुन सकें, ऐसा  ही  होता है अक्सर |

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