Monday, 18 August 2025

 

सेवा भाव समर्पण  ही बस,मानव की  पहिचान है,

जिसको है सन्तोष हृदय में, सच में वह  धनवान है l

यों तो मरते और जन्मते, जो भी आता यहाँ धरा पर,

जो उपकार  सहज  ही  करता, पाता वह  सम्मान है l

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