बल पौरुष के कारण जग में, नर ने माना श्रेष्ठ कर्म है,
धर्म भीरु होने के कारण, नारी कहती श्रेष्ठ धर्म है |
नहीं कल्पना है यह कोरी, मानो तो विशवास अटल है,
कोई जान न पाया उसको, इसीलिए तो श्रेष्ठ मर्म है |
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