अकर्मण्य जो भी होते हैं ,उनको विपदाओं ने घेरा,
मुर्गा होता नहीं गाँव में, तो क्या होता नहीं सबेरा l
कर्म प्रधान मानते जो भी, वे ही लक्ष्य प्राप्त कर पाते,
भाग्य भरोसे जो भी रहते, उनका जीवन रहा अँधेरा l
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