जो सेवक हैं सही अर्थ में, वे तो समझें खुद को अफसर,
वेतन भोगी कहें भले ही, छोड़ें नहीं कोई भी अवसर l
जनहित के क्या काम करेंगे, सोच समझ जिनकी है लिप्सा,
समय नहीं जो दर्द सुन सकें, ऐसा ही होता है अक्सर |
No comments:
Post a Comment