Wednesday, 17 April 2024

 राम दरस अभिलाषा मन में,राम रहें हरदम चिंतन में,

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

सत्य यही है, वे शास्वत हैं, रामराज्य लायें जीवन में |

   

    चित्रकूट जा करके देखो, कामदगिरि दे रहा गवाही, कुछदिन शान्त भावसे रहिये, पूर्ण करो इच्छा मन चाही |

   बारह बरस राम के बीते, चित्रकूट की ही रज कण में,

   कैसे कहें कल्पना के है, राम समाये सबके मन में |

 

वह पथ अब भी विद्यमान है, रिस्यमूक पर्वत जा पहंचे,

निश्चरहींन धरा को करने,अपने प्रण में जो नहिं सकुचे |

जहाँ जहाँ वे रुके आज भी,स्थल अंकित आज नयन में |

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

 

रामेश्वर शिवधाम आज भी,ज्योर्तिलिंग की है वह प्रतिमा,

रावण विजय हेतु ही जिनने, स्थापित की उनकी गरिमा |

रामसेतु की अब भी झांकी, सागर आकर गिरा चरण में,

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

 

   जो जैसे हैं वही रहेंगे, वे ही देखें खुद दर्पण में,

   कहें कल्पना झूठ न होगी, वे रहते हरदम बंधन में |

  राजनीति के कारण ही तो,अन्तर करनी और कथन में,

   यह उनकी है,वे ही जानें, मेरा चित्त लगा दर्शन में |

सत्य यही है वे शास्वत हैं, राम राज्य लायें जीवन में,

सारा भारत ऊँचे स्वर में, बोल रहा है नन्दनवन में |

राम हमारे रहे, रहेंगे, सदा सर्वदा रहें मनन में ,

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

 

राम दरस अभिलाषा मन में, राम रहें हरदम चिन्तन में,

कैसे कहें कल्पना के हैं, राम समाये सबके मन में |

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