Friday, 5 April 2024

 

 घर पर  हम बैठें  रहें, रोयें  पाँचों साल,

      पछताना हम को पड़े, तोड़ें हम यह जाल.

  

               राजनीति अब दे  रही, केवल  यह संदेश,

              समय देख कर आप भी, बदलें अपना वेश |

 

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