Dr. Hari Mohan Gupta
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Sunday, 15 January 2017
भावना में ही निहित भगवान् है
भावना में ही निहित भगवान् है , ज़िन्दगी का साथ ही सहगान है
दर्द बांटे दीं हीनों का कोई , तब कहीं मिलता उसे सम्मान है
डॉ. हरिमोहन गुप्त
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