Sunday, 15 January 2017

भावना में ही निहित भगवान् है

भावना में ही निहित भगवान् है , ज़िन्दगी का साथ ही सहगान है
दर्द बांटे दीं हीनों का कोई , तब कहीं मिलता उसे सम्मान है
डॉ. हरिमोहन गुप्त

No comments:

Post a Comment