Sunday 29 January 2017

इंसानियत में ढूंढिएगा

इंसानियत में ढूंढिएगा , मैं वहीँ मिल जाऊँगा
क्यों व्यर्थ मुझको खोजते हो आप अपने मजहबों में?

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      - डॉ. हरिमोहन गुप्त  

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