Friday, 14 April 2023

 

जितनी कम जिसकी इच्छायें, उसकी सुखी  रही है काया,

विषय भोग में लिप्त रहा जो, उसने दुख को ही उपजाया.

सब ग्रन्थों का सार यही है, सुख दुख की यह ही परिभाषा,

तृष्णा, लोभ, मोह को छोड़ो, संतों ने  यह  ही दुहराया.

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