Saturday, 22 April 2023

 

बुद्धि, विवेकी पुरुषों की बातों को सुनता,

संग कभी पौराणिक आख्यानों को चुनता |

वही सामने आप सभी  के  मैं रखता हूँ,

साथ कल्पना  के  ताने बानों को चुनता |

 

छान बीन कर तब निचोड़कर, कुछ मैं पाता ,

माँ वाणी की  कृपा मान, उसके गुण गाता,

शायद कुछ कल्याण  हो  सके  मेरे द्वारा,

गुरु, देवों संग विज्ञजनों  को  शीश झुकाता |

   

        सदाचार संग नम्रता, क्षमा, दया का भाव,

        सत्य, शील ही प्रेम है, रहता नहीं अभाव |

     

       ज्ञान सहज पायें सभी, रहें अगर निश्चिन्त,

        अहंकार बस छोड़ दें, झूठे सभी लगाव |

  

   काम, क्रोध या घृणा भाव ही,संयम रहित विचार,

    चिन्तित मन  रहता सदा, पाता  कष्ट अपार |

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