Wednesday, 26 April 2023

 

चन्दन हर  पोधा महकाये  जो समीप है,

जग को जो आलोकित कर दे वही दीप है l

पत्थर चोट सहे, पर फल दें वृक्ष यहाँ पर,

पानी  पी कर  मोती  उगले वही सीप है l

 

फल देतें  हैं  सदा सभी को, वृक्ष नहीं कुछ खाते,

धरती   को सिंचित करते ही,बादल फिर उड़ जाते l

प्यास बुझाती प्यासे की ही, सरिता लब जल पीती,

पर  उपकारी  जो  होते  हैं, धन्य  वही  हो पाते l

 

इर्ष्या मन में जगे, समझ लो यही डाह है,

पाने  की  इच्छा हो मन में, यही चाह है l

प्रगति पन्थ पर बढने की जिज्ञासा मन में,

सत्य  यही  है, “जहाँ चाह है  वही राह है”l

 

मिले सफलता जीवन में तुम हार न मानो,

छू सकते आकाश, स्वयम को तो पहिचानो l

जो  करते अभ्यास  नितन्तर, आगे  बढ़ते,

तुम  में  है  सामर्थ, मन्त्र  यह मेरा मानो l

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