Monday, 2 September 2024

परोपकार हो बस जीवन में, समझूंगा मैं महा दान है,

धन दौलत तो नहीं रही है,सबका रक्खा सदा मान है,

कवि तो फटे हाल होता है, केवल भाव विचार साथ हैं,

                                           फिर भी मेरे पास बचा है,बस वह केवल स्वाभिमान है | 

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