Saturday, 28 September 2024

 

मन को तुम एकाग्र करो तो, तभी शान्ति का श्रोत बहेगा,

सुन्दर,स्वस्थ विचार रहें मन, सेवा व्रत भी  साथ  रहेगा |  

 शान्ति सदा भीतर है  जैसे, कस्तूरी  मृग नाभि  बसी है,

उससे  नाता  जो  जोड़ेगा, सदा सत्य  का  मार्ग गहेगा |

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