Tuesday, 24 September 2024

 

जीवन  और कर्म को मानो, आदि श्रोत  भगवान,

हृदय कमल में वास उसीका, वह जीवन का प्राण |

सतचित ही आनन्द रूप है, आत्म अंश  है  मात्र,

जप,तप,पूजन,भजन,लगन से, बनती है पहिचान |

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