मिथ्या स्वाभिमान ने हमको, उपभोगवाद में बाँट दिया है,
भोतिकविकास ने मानव को,मानव से सच में अलग किया है l
अब सुख का आधार हमारा, अलगाव वाद में भटक गया है,
मेरा है
विश्वास अकारण,अभिशाप सहज में यहाँ लिया है l
भोतिकविकास ने मानव को,मानव से सच में अलग किया है l
अब सुख का आधार हमारा, अलगाव वाद में भटक गया है,
मेरा है विश्वास अकारण,अभिशाप सहज में यहाँ लिया है l
भोतिकविकास ने मानव को,मानव से सच में अलग किया है l
अब सुख का आधार हमारा, अलगाव वाद में भटक गया है,
मेरा है
विश्वास अकारण,अभिशाप सहज में यहाँ लिया है l
मिथ्या स्वाभिमान ने हमको, उपभोगवाद
में बाँट दिया है,
भोतिकविकास ने मानव को,मानव से सच में अलग किया है l
अब सुख का आधार हमारा, अलगाव वाद में भटक गया है,
मेरा है
विश्वास अकारण,अभिशाप सहज में यहाँ लिया है l
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