जब विपत्ति आती है सिर पर, मन में चिंता, शोक, निराशा,
जब सम्पति आती है घर में, ईर्ष्या, द्वेष, मान की आशा |
तृष्णा बढती ही जाती है, संग्रह को ब्याकुल होता मन,
सुख मिलना दूभर हो जाता, धूमिल होती है अभिलाषा |
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