पैर जब कभी चादर
से बाहर को आते हैं,
उसूलों से बड़े
जब ख्बाव हो जाते हैं |
परेशानी का
अनुभव तो देर से होता.
जब अपने साथी साथ छोड़ कर जाते हैं |पैर जब कभी चादर से बाहर को आते हैं,
उसूलों से बड़े
जब ख्बाव हो जाते हैं |
परेशानी का
अनुभव तो देर से होता.
जब अपने साथी साथ छोड़ कर जाते हैं
|पैर जब कभी चादर से बाहर को आते हैं,
उसूलों से बड़े
जब ख्बाव हो जाते हैं |
परेशानी का
अनुभव तो देर से होता.
जब अपने साथी साथ छोड़ कर जाते हैं |
पैर जब कभी चादर से बाहर को आते हैं,
उसूलों से बड़े
जब ख्बाव हो जाते हैं |
परेशानी का
अनुभव तो देर से होता.
जब अपने साथी साथ छोड़ कर जाते हैं |
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