कर्म प्रधान मानते जग में, वे रहते सानन्द
सिद्धि साधना में रत जो हैं, पाते परमानन्द l
जागो,उठो,बढो तुम आगे,तुम्हें लक्ष्य तक जाना,
सत्य आचरण जो अपनाये, वही विवेकानन्द l
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