स्वार्थ भावना यदि मन में तो, वह ख़ास नहीं बनता,
छल- छन्द रहा यदि मन में तो, विश्वास नहीं पलता |
कर्मठ, सत्यव्रती का जग में, नाम लिखा जाता है,
अभिमानी जन को इस जग में, सम्मान नहीं मिलता |
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