Wednesday, 1 February 2023

 

साहब ने घर पर मुझे, बुलवाया  है आज,

क्या ऐसे ही जांयगे, अपनी रखना लाज l

 हम देते  वे  लेत  हैं, नगद किन्तु यह राज,

जिस दिन हम यों ही गये, बिगड़ जायगा काज l

वे कहते  हैं  हमें भी, ऊपर  देनें  दाम,

बिना लिये कैसें करें, रोज हमें भी काम l

  ऊपर तक हिस्सा बंटा, शामिल  हैं सब लोग,

 इससे सुबिधा सबई खों, कर लो तुम उपयोग |

आज राज में हो रहो, केवल बस अंधेर,

फाइल पे ना बजन हो, तो फिर समझो देर l

       ऐक मेज से दूसरी, कुरसी  तकती रोज,

      कोई तो आकर फँसे, रहती उनकी खोज l  

अब तो बाबू स्वयं ही, कहते हैं श्री मान,

फाइल आगे जायगी, तभी बने पहिचान l

      अफसर को देना हमें, मजबूरी श्री मान,

      बोलो कैसे घर चले, मान लीजिये दान l  

  

 

 

कोयल कू कू बोलती, चले बसंत बयार,

  पीली सरसों फूलती, धरती  को सिंगार l

      जाड़ो जाबे कों भयो, जे हे बा  को कोप,

     प्यार, रजइया छूट हैं, हो जे हैं सब लोप l  

सरदी हा हा खा रई, जाबे को तैयार,

कुआ बाबरी में गिरे, हो जे बेड़ा पार l

     होरी आबे खों भई, दिल  हो  रओ बेचेन,

     घर बारी से सोच रय, लड़ पें हैं अब नैन l

घर वारी रंगने हमें, मल हैं गाल गुलाल,

जाने कैसे आउत है, होरी  है  जा साल l

      पुरा महुल्ला से नहीं, कोनउ  है दरकार,

     पाँच दिना घर में रहें, कर हैं सब मनुहार l                                                   

भली करी  जा नौकरी, घर से हो गय दूर,

घरवारी की याद में, हो  रय  हम मजबूर l

      होरी आवे  खों भई,  छुट्टी  हो मंजूर,

       घर कों जाने है हमें, संग रे हैं भरपूर l

पिछली साले का कहें, अफसर थो वे पीर,

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