साहब ने घर पर मुझे, बुलवाया है आज,
क्या ऐसे ही जांयगे, अपनी रखना लाज l
हम देते वे लेत
हैं, नगद किन्तु यह राज,
जिस दिन हम यों ही गये, बिगड़ जायगा काज l
वे कहते हैं हमें भी, ऊपर
देनें दाम,
बिना लिये कैसें करें, रोज हमें भी काम l
ऊपर तक
हिस्सा बंटा, शामिल हैं सब लोग,
इससे
सुबिधा सबई खों, कर लो तुम उपयोग |
आज राज में हो रहो, केवल बस अंधेर,
फाइल पे ना बजन हो, तो फिर समझो देर l
ऐक मेज से दूसरी, कुरसी तकती रोज,
कोई तो आकर फँसे, रहती उनकी खोज l
अब तो बाबू स्वयं ही, कहते हैं श्री मान,
फाइल आगे जायगी, तभी बने पहिचान l
अफसर को देना हमें, मजबूरी श्री मान,
बोलो
कैसे घर चले, मान लीजिये दान l
कोयल कू कू बोलती, चले बसंत बयार,
पीली
सरसों फूलती, धरती को सिंगार l
जाड़ो जाबे कों भयो, जे हे बा को कोप,
प्यार, रजइया छूट हैं, हो जे हैं सब लोप l
सरदी हा हा खा रई, जाबे को तैयार,
कुआ बाबरी में गिरे, हो जे बेड़ा पार l
होरी आबे खों भई, दिल हो रओ
बेचेन,
घर बारी से सोच रय, लड़ पें हैं अब नैन l
घर वारी रंगने हमें, मल हैं गाल गुलाल,
जाने कैसे आउत है, होरी है जा
साल l
पुरा
महुल्ला से नहीं, कोनउ है दरकार,
पाँच दिना घर में रहें, कर हैं सब मनुहार l
भली करी
जा नौकरी, घर से हो गय दूर,
घरवारी की याद में, हो रय हम
मजबूर l
होरी
आवे खों भई, छुट्टी
हो मंजूर,
घर कों जाने है हमें, संग रे हैं भरपूर l
पिछली साले का कहें, अफसर थो वे पीर,
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