जिसे प्रेम जीवन से होता, वह सुधारता है अपने को,
दृष्टिकोण तो स्वयं बदलता, जीवित करता वह सपने को |
करो कर्म उत्कृष्ट, साथ ही छवि अपनी हो स्वच्छ निरापद,
तभी कर्मफल मिल पायेगा, शक्ति मिले उससे लड़ने को |
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