काया उसकी भी मरी, जिसे देह अभिमान,
केवल बस गुण, कर्म ही, सदा बढाते मान |
दया धर्म यदि पास है, इसका पड़े प्रभाव,
सदा याद रखिये इसे, इससे बढ़े लगाव |
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