उसकी कृपा सदैव है,भाव रहे निस्वार्थ।
अहंकार बस छोड़ दो,है बस यही यथार्थ।
आवश्यकता से अधिक, धन संग्रह है पास,
निर्धन जन में बाँटिये, सुखी रहें, विश्वास |
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