क्षमा करें इक बार ही, किन्तु नहीं दो बार,
दया व्यर्थ हो जायगी, क्षमा किया हर बार |
जान लीजिये इसे भी, कब रहना है मौन,
उचित बोलना है भला, तुमसे बढ़ कर कोन |
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