आप प्रशंसा तो करें, जिससे हो तकरार,
बस प्रभाव तब देखिये, माने वह उपकार |
क्षमा करें इक बार ही, किन्तु नहीं दो बार,
दया व्यर्थ हो जायगी, क्षमा किया हर बार |
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