खाएं हरदम बाँट
कर, बोलें मीठे बोल,
प्रेम सहित हम नम्र हों, धर्म कमाई तौल l
नहीं
स्तुति से हर्ष हो, नहीं निन्दा से शोक,
दोनों
में समभाव हो, वही बड़ा इस लोक l
उसकी महिमा,नाम गुण, देखे सदा चरित्र,
श्रृद्धा पूर्वक
हम सुनें, ईश्वर रूप
पवित्र l
चिन्तन करते रूप का, गाते हम गुण गान,
सदा
स्मरण उसी का, निकट रहें भगवान l
खुद जैसा तुम चाहते, वैसा दो तुम
मान,
स्वत:तुम्हें मिल जायगा, यश ,वैभव, सम्मान l
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