बीता कल
आता नहीं, आज गया सो काल,
कर लो
तुम शुभ काम को,होगे स्वयम निहाल l
आपस
में दूरी रहे, हो कोई
मतभेद,
यह सलाह है आपको, रखिये ना मनभेद l
तन मिटटी का रूप धर,करता दीप प्रकाश,
बाती जलती नेह की, अंधियारा है दास l
खाएं हरदम बाँट
कर, बोलें मीठे बोल,
प्रेम सहित हम नम्र हों, धर्म कमाई तौल l
नहीं
स्तुति से हर्ष हो, नहीं निन्दा से शोक,
दोनों
में समभाव हो, वही बड़ा इस लोक l
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