Thursday, 17 November 2022

 नहीं आचरण शुद्ध हैं, केवल  दें व्याख्यान,

    क्या हित होगा आपका, मिल पायेगा ज्ञान?

जब विवेक तब शान्ति है, तृष्णा होती शांत,

विषयों में आशक्ति यदि, तो मन रहे अशांत.

 भोजन पानी सुलभ है, रहना भी सुखदेय,      

 वस्त्र मिलें अनकूल जब, दुर्जन का संग हेय.

राजा को अभिमान यदि, ज्ञानी को यदि मान,

हो प्रसिद्धि ऐश्वर्य से, जग में कवि का मान.

  कवि का यदि स्तर गिरा, घट जाता सम्मान,

  मात्र प्रशंसा से  नहीं, हो  सकता  कल्याण. 

No comments:

Post a Comment