किया न हरि का स्मरण, समय गया बेकार,
लोक
सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l
मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,
बांस सरीखी जो फटे, होती बुद्धि
कुशाग्र.
मेधा
शक्ति बढाइये, लें विवेक से काम,
वंश बुद्धि यदि हो
गई,करते सभी सलाम l
कुछ पाना
है यदि हमें, जग में पाना नाम,
दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें ऐसे काम l
चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन में रहे तनाव,
उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l
लोक
सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l
मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,
बांस सरीखी जो फटे, होती बुद्धि
कुशाग्र.
मेधा
शक्ति बढाइये, लें विवेक से काम,
वंश बुद्धि यदि हो
गई,करते सभी सलाम l
कुछ पाना
है यदि हमें, जग में पाना नाम,
दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें ऐसे काम l
चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन में रहे तनाव,
उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l
लोक
सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l
मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,
बांस सरीखी जो फटे, होती बुद्धि
कुशाग्र.
मेधा
शक्ति बढाइये, लें विवेक से काम,
वंश बुद्धि यदि हो
गई,करते सभी सलाम l
कुछ पाना
है यदि हमें, जग में पाना नाम,
दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें ऐसे काम l
चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन में रहे तनाव,
उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l
लोक
सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l
मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,
बांस सरीखी जो फटे, होती बुद्धि
कुशाग्र.
मेधा
शक्ति बढाइये, लें विवेक से काम,
वंश बुद्धि यदि हो
गई,करते सभी सलाम l
कुछ पाना
है यदि हमें, जग में पाना नाम,
दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें ऐसे काम l
चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन में रहे तनाव,
उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l
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