Sunday, 6 November 2022

  किया न हरि का स्मरण, समय गया बेकार,

  लोक सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l

मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,

बांस सरीखी जो फटे, होती  बुद्धि  कुशाग्र.

 

 मेधा शक्ति बढाइये, लें विवेक  से  काम,

 वंश बुद्धि यदि हो गई,करते सभी सलाम l

 कुछ पाना है यदि हमें, जग में पाना नाम,

 दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें  ऐसे काम l  

चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन  में रहे तनाव,

उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l

  किया न हरि का स्मरण, समय गया बेकार,

  लोक सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l

मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,

बांस सरीखी जो फटे, होती  बुद्धि  कुशाग्र.

 

 मेधा शक्ति बढाइये, लें विवेक  से  काम,

 वंश बुद्धि यदि हो गई,करते सभी सलाम l

 कुछ पाना है यदि हमें, जग में पाना नाम,

 दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें  ऐसे काम l  

चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन  में रहे तनाव,

उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l

  किया न हरि का स्मरण, समय गया बेकार,

  लोक सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l

मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,

बांस सरीखी जो फटे, होती  बुद्धि  कुशाग्र.

 

 मेधा शक्ति बढाइये, लें विवेक  से  काम,

 वंश बुद्धि यदि हो गई,करते सभी सलाम l

 कुछ पाना है यदि हमें, जग में पाना नाम,

 दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें  ऐसे काम l  

चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन  में रहे तनाव,

उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l

  किया न हरि का स्मरण, समय गया बेकार,

  लोक सुधर क्या पायगा, स्वयम गया मैं हार l

मन्द बुद्धि कम्बल सदृश ,सादा बुद्धि सुजाग,

बांस सरीखी जो फटे, होती  बुद्धि  कुशाग्र.

 

 मेधा शक्ति बढाइये, लें विवेक  से  काम,

 वंश बुद्धि यदि हो गई,करते सभी सलाम l

 कुछ पाना है यदि हमें, जग में पाना नाम,

 दुष्प्रवृत्ति, हिंसा, व्यसन, छोड़ें  ऐसे काम l  

चाहे हिंसक वृत्ति हो, मन  में रहे तनाव,

उत्तम मरहम है समय, जो भर देता घाव l

 

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