मीठी वाणी
ही रही, जीवन में
अनमोल,
जीत
सकेंगे सभी को, सरल सहज मृदु बोल l
स्वार्थ सिद्धि में आपने, अगर किया अनुबन्ध,
तो समझी परिणाम तुम,क्या होंगे सम्बन्ध l
मन में यदि इच्छा प्रबल, करते रहें प्रयास,
साहस बाँधे पाँव
में, रहे सफलता दास l
यही नर्क के द्वार हैं, लोभ, मोह, अरु काम,
विजय पा सका जो कभी, जग में पाया नाम l
यदि घमण्ड बढ़ता कभी, होता नष्ट विवेक,
अहंकार बस छोड़ दो, यह सलाह है नेक l
धैर्य, धर्म , निर्भीकता, सभी बुलाएँ
पास,
त्यागें यदि हम भीरुता, बने परिस्थिति दास l
यही बात बस प्रमुख है, सबने पढ़े पुराण,
सुख दुख में समभाव हो,गीता पढो कुरान l
शब्द तौल कर बोलिये, भाषा शिष्ट समान,
मन्त्र मुग्ध संजीवनी, मिले तुम्हें सम्मान l
सदाचार के पाठ को, यदि समझाएं आप
हिंसा, चोरी, वासना. मानेंगे सब पाप l
सत्य, अहिंसा, क्षमा की, ऐसी छोड़ो छाप,
हत्या या फिर व्यसन भी, बन जायेंगे पाप l
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